Thursday, July 26, 2018

दिल्‍ली: दूसरी पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा, 'भूख' से ही हुई थी तीन बच्चियों की मौत

नई दिल्ली: दिल्ली के मंडावली में एक ही परिवार की तीन बच्चियों की मौत भूख से ही हुई. सूत्रों के मुताबिक, दूसरे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी मौत की वजह भुखमरी ही बताई गई है. दूसरा पोस्टमॉर्टम जीटीबी अस्पताल में कराया गया.  लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में कराए गए पहले पोस्टमॉर्टम में भी मौत की वजह भूख बताई गई थी. उनके शरीर में अन्न का एक दाना भी नहीं मिला था. इधर, मामला सामने आने के बाद दिल्ली सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. एसडीएम इस मामले की पड़ताल कर रहे हैं. वहीं पुलिस अपनी अलग जांच कर रही है. इस बीच डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया आज पीड़ित परिवार के घर जाएंगे. 

भूख से तीन बच्चियों की मौत पर सियासत भी शुरू हो गई है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने ट्वीट कर कहा है कि ये घटना डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के इलाके में हुई है. आम आदमी पार्टी की सरकार में आज भी आम आदमी की भूख के कारण मौत हो रही है. शर्म करो. मनोज तिवारी भी आज पीड़ित परिवार से मिलने मंडावली भी गए. उन्‍होंने पीड़ित परिवार को 50 हज़ार रुपये की मदद देने का ऐलान किया है, जिसमे से 10 हज़ार रुपये कैश दिए. 

लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के एमएस डॉक्टर अमित सक्सेना ने एनडीटीवी से कहा कि तीनों बच्चियों का शारीरिक ढांचा ही बता रहा था कि को कुपोषण का शिकार हुई हैं. ढांचा एक मंकी की तरह हो गया था. मौत की वजह कुपोषण और भूख थी. पीएम दोबारा हुआ है तो ठीक है और डिटेल्स में हो जाएगा वो टॉक्सिक वगैरा भी देख लेंगे. ऐसे मामलों में विसरा सैंपल लेने की कोई जरूरत नहीं होती, क्योंकि कोई फाउल प्ले पीएम में नहीं दिखा. 

भूख से आठ साल की मानसी, चार साल की शिखा और दो साल की पारुल का शव मंडावली में एक कमरे से बरामद हुआ था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि तीनों की मौत मंगलवार को तड़के हुई और मौत की वजह है कुपोषण. बच्चियों के शव के पोस्टमार्टम में खाने का एक भी अंश नहीं मिला. डॉक्टरों के मुताबिक, उन्हें सात-आठ दिन से खाना नहीं मिला था.

इन बच्चियों की मां वीणा की हालत मानसिक रूप से ठीक नहीं है. उसके मुताबिक बच्चियों को कई दिन से उल्टियां आ रही थीं इसलिए खाना नहीं दिया. वीणा ने बताया कि उन्होंने (बच्चियों) कई दिन से खाना नहीं खाया था. उनको उल्टी और खांसी हो रही थी.

बच्चियों की मां वीणा.

बच्चियों के पिता मंगल सिंह बचपन में दिल्ली के होटलों में बर्तन धोते थे, फिर मजदूरी करने लगे. वे कुछ सालों से रिक्शा चला रहे थे. उनके दोस्त नारायण यादव के मुताबिक कुछ दिन पहले उनका रिक्शा चोरी हो गया तो उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया, क्योंकि रिक्शा उसी का था. बीते शनिवार को नारायण ने अपने एक कमरे के घर में मंगल सिंह के परिवार को भी रख लिया.

नारायण यादव ने बताया कि जब मंगल को घर से निकाल दिया तो बारिश हो रही थी. बारिश में बच्चे कीचड़ में पड़े होंगे तो हर किसी को दया आ जाती है, फिर ये तो मेरा दोस्त था, इसलिए मैं बच्चों को अपने घर ले आया.

अपने परिवार को नारायण के यहां छोड़कर मंगल नए काम की तलाश में निकल गए और अब तक उनका पता नहीं है. इसी बीच तीनों बेटियों की मौत हो गई. पड़ोसियों के मुताबिक उन्हें अगर पता होता कि बच्चियों को खाना नहीं मिल रहा है तो वे जरूर खिलाते, लेकिन यह परिवार दो दिन पहले ही यहां आया था, इसलिए उन्हें परिवार के बारे में ज्यादा पता नहीं है.

पूर्वी दिल्ली के डीसीपी पंकज कुमार ने बताया कि ''इसमें हमने मेडिकल बोर्ड के लिए रिक्वेस्ट किया है. जिससे दुबारा हम सही कारण पता लगा पाएं.''

इस मामले में दिल्ली सरकार ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं. यह जानकारी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करके दी है.

मंडावली में तीन बच्चियों की मौत की घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। यह परिवार दो दिन पहले ही मंडावली में एक मकान में रह रहे किराएदार के यहां मेहमान आया था।
घटना के पहले से ही बच्चियों के मजदूर पिता काम पर गए थे जो लौटे नहीं हैं। मां भी पहले से मानसिक बीमार हैं।
— Manish Sisodia (@msisodia) July 25, 2018

इस घटना को लेकर कई सामाजिक संगठन सरकार से बेहद नाराज हैं. 'बचपन बचाओ आंदोलन' के निदेशक प्रोग्राम राकेश सेंगर ने कहा कि ''यह घटना शर्मसार करने वाली है. संसद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ऐसा हुआ. सरकार को शर्म आनी चाहिए. हर जिले में चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी होती है जो बच्चों की पढ़ाई, पोषण और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखती है. वो क्या कर रही है? यह घटना बेहद शर्मनाक है.''

https://khabar.ndtv.com/news/delhi/second-postmortem-report-deaths-of-3-minor-girls-due-to-malnutrition-in-delhi-mandawali-1890076?pfrom=home-topstories

Thursday, June 7, 2018

हेडगेवार को महान सपूत बता गांधी-नेहरू के राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाया- पढ़े प्रणब के भाषण की 10 खास बातें

प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के मंच से कहा कि हमें अपने सार्वजनिक विमर्श को सभी प्रकार के भय और हिंसा, भले ही वह शारीरिक हो या मौखिक , से मुक्त करना होगा.


नागपुर: राष्ट्रवाद, देशभक्ति, सहिष्णुता, विविधता पर एक बार फिर नए सिरे से बहस शुरू हो चुकी है. इस बार बहस को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जन्म दिया है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुरूप देशभक्ति ही असली राष्ट्रवाद है. मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र को धर्म, हठधर्मिता या असहिष्णुता के माध्यम से परिभाषित करने का कोई भी प्रयास केवल हमारे अस्तित्व को ही कमजोर करेगा. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने सैकड़ों वर्षों तक भारत पर शासन किया, फिर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर शासन किया. बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी आई फिर भी हमारी संस्कृति सुरक्षित रही. प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषणों में कौटिल्य से लेकर महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल तक का जिक्र किया और इसी बहाने आरएसएस को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाया.

1. हिंसा बढ़ी: 83 वर्षीय प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के मंच से कहा कि हमें अपने सार्वजनिक विमर्श को सभी प्रकार के भय और हिंसा, भले ही वह शारीरिक हो या मौखिक, से मुक्त करना होगा. प्रति दिन हम अपने आसपास बढ़ी हुई हिंसा देखते हैं. इस हिंसा के मूल में भय, अविश्वास और अंधकार है.

2. आत्मा बहुलतावाद में बसती है: मुखर्जी ने कहा कि असहिष्णुता से भारत की राष्ट्रीय पहचान कमजोर होगी. उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्रवाद सार्वभौमवाद, सह अस्तित्व और सम्मिलन से उत्पन्न होता है. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद का प्रवाह संविधान से होता है. ‘‘भारत की आत्मा बहुलतावाद एवं सहिष्णुता में बसती है.’’

3. संविधान से राष्ट्रभक्ति: पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ''भारत का संविधान करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है. हमारा राष्ट्रवाद हमारे संविधान में निहित है.''

4. नेहरूवाद का जिक्र: पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में कहा था कि भारतीय राष्ट्रवाद में हर तरह की विविधता के लिए जगह है. भारत के राष्ट्रवाद में सारे लोग समाहित हैं. इसमें जाति, मजहब, नस्ल और भाषा के आधार पर कोई भेद नहीं है. मुखर्जी ने राष्ट्र की अवधारणा को लेकर सुरेन्द्र नाथ बनर्जी और बालगंगाधर तिलक के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद किसी क्षेत्र , भाषा या धर्म विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण मार्गदशर्क है.


5. सबका झंडा एक: प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 'भारत की राष्ट्रीयता एक भाषा और एक धर्म में नहीं है. उन्होंने कहा, "यह 1.3 अरब लोगों के शाश्वत एक सार्वभौमिकतावाद है जो अपने दैनिक जीवन में 122 भाषाओं और 1,600 बोलियों का इस्तेमाल करते हैं. वे सात प्रमुख धर्मो का पालन करते हैं और तीन प्रमुख नस्लों से आते हैं, मगर वे एक व्यवस्था से जुड़े हैं और उनका एक झंडा है. साथ ही भारतीयता उनकी एक पहचान है और उनका कोई शत्रु नहीं है. यही भारत को विविधता में एकता की पहचान दिलाता है."

6. वसुधैव कुटुंबकम: प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 17वीं सदी में वेस्टफेलिया के समझौते के बाद अस्तित्व में आए यूरोपीय राज्यों से भी प्राचीन हमारा राष्ट्रवाद है. यूरोपीय विचारों से अलग भारत का राष्ट्रवाद वसुधैव कुटुंबकम पर आधारित है और हमने पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में देखा है. मुखर्जी ने कहा कि हमारे देश की राष्ट्रीय पहचान किसी खास धर्म, भाषा या संस्कृति से नहीं हो सकती.


7. कौटिल्य को किया याद: प्रणब मुखर्जी ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने ही लोगों की प्रसन्नता और खुशहाली को राजा की खुशहाली माना था. मुखर्जी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था तो तेजी से बढ़ रही है लेकिन नागरिकों को खुशी नहीं मिल रही है. हम हैपीनेस रैंकिंग में 133वें नंबर पर हैं. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि संसद में जाएंगे तो गेट नंबर 6 पर लिफ्ट के ऊपर संस्कृत में एक श्लोक लिखा है. उन्होंने कौटिल्य के श्लोक 'प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां तु हिते हितम, नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम' का जिक्र करते हुए कहा कि प्रजा के हित और सुख में भी राजा का सुख निहित है.

8.  हेडगेवार महान सपूत: इससे पहले मुखर्जी जब संघ मुख्यालय आये तो उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को ‘भारत माता का महान सपूत’ बताया. हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की थी. मुखर्जी ने अपने संबोधन से पहले संघ की आगंतुक पुस्तिका में लिखा , ‘‘ मैं भारत माता के एक महान सपूत के प्रति अपनी श्रद्धा एवं सम्मान व्यक्त करने यहां आया हूं.’’

9. भागवत का बचाव: पूर्व राष्ट्रपति के संबोधन से पहले संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस के कार्यक्रम में मुखर्जी के भाग लेने को लेकर छिड़ी बहस ‘ निरर्थक ’ है. भागवत ने कहा कि इस कार्यक्रम के बाद भी मुखर्जी वही रहेंगे जो वह हैं और संघ वही रहेगा जो वह है. उन्होंने कहा कि उनका संगठन पूरे समाज को एकजुट करना चाहता है और उसके लिए कोई बाहरी नहीं है.

10. कांग्रेस का बदला मूड: कांग्रेस के कई नेता प्रणब के आरएसएस के कार्यक्रम में जाने से नाखुश थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा था कि ‘प्रणब दा’ से ऐसी उम्मीद नहीं थी. हालांकि प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रवाद पर विचार के बाद से पार्टी काफी खुश नजर आ रही है.

11. गांधी का राष्ट्रवाद: प्रणब दा ने कहा कि गांधी का राष्ट्रवाद न संकीर्ण था न आक्रामक और न ही विनाशकारी.

http://abpnews.abplive.in/india-news/pranab-mukherjee-speech-top-10-highlights-over-rss-vs-nationalism-nehruvianism-patriotism-and-tolerance-882176

प्रणब स्पीच: कांग्रेस बोली- RSS को दिखाया आईना, संघ ने कहा- विविधता भारत की आत्मा

आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि नफरत और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय पहचान खतरे में पड़ेगी. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि भारतीय राष्ट्रवाद में हर तरह की विविधता के लिए जगह है.


नागपुर: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार शाम को राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) के कार्यक्रम को संबोधित किया और यहीं से उन्होंने संघ को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाया.. मुखर्जी मुखर्जी ने अपने भाषण की शुरुआत में ही साफ कर दिया कि वह राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलेंगे और तीनों ही मसलों पर प्रणब मुखर्जी ने खुलकर अपनी बातें कही. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद का प्रवाह संविधान से होता है. ‘‘भारत की आत्मा बहुलतावाद और सहिष्णुता में बसती है.’’ प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को परोक्ष तौर पर आगाह हुए कहा कि ‘धार्मिक मत और असहिष्णुता’ के माध्यम से भारत को परिभाषित करने का कोई भी प्रयास देश के अस्तित्व को कमजोर करेगा. उन्होंने अपने भाषण में पंडित जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी का भी जिक्र किया.

प्रणब की बातों से खुश कांग्रेस ने कहा कि उन्होंने संघ को 'सच का आईना' दिखाया और नरेंद्र मोदी सरकार को 'राजधर्म' की याद दिलाई. आपको बता दें की प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में जाने के फैसले पर बयान देने से कांग्रेस बचती नजर आ रही थी. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने  कहा, ''पूर्व राष्ट्रपति का आरएसएस मुख्यालय का दौरा बड़ी चर्चा का विषय बन गया था. देश की विविधता और बहुलता में विश्वास करने वाले चिंता व्यक्त कर रहे थे. लेकिन आज मुखर्जी ने आरएसएस को सच का आईना दिखाया.''

उन्होंने कहा, ''मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में आरएसएस को सच का आईना दिखाया है. उनको बहुलवाद, सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता और समग्रता के बारे में पाठ पढ़ाया है.'' वहीं प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आरएसएस पर फेक न्यूज़ को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि कहा कि उन्हें जिस बात का डर था वही हुआ.


'जिसका डर था, वही हुआ'
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि जिस बात का उन्हें डर था और अपने पिता को जिस बारे में उन्होंने आगाह किया था, वही हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि जिसका डर था, बीजेपी/आरएसएस के ‘‘डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट’’ ने वही किया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों में ऐसा नजर आ रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति संघ नेताओं और कार्यकर्ताओं की तरह अभिवादन कर रहे हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का विरोध किया था और ट्विटर पर अपने पोस्ट के जरिये उन्होंने अपनी नाखुशी भी जाहिर की थी.

मुखर्जी के भाषण से क्या खुश हुआ संघ?
आरएसएस ने संघ मुख्यालय में मुखर्जी के भाषण पर कहा कि उन्होंने देश के गौरवशाली इतिहास की याद दिलायी और उन्होंने समावेशी, बहुलतावाद और विविधता में एकता को ‘भारत की आत्मा’ बताया. आरएसएस प्रवक्ता अरुण कुमार ने कहा कि मुखर्जी के भाषण ने राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास की याद दिलायी ... देश की 5,000 साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत की याद दिलायी. हमारी राज्य प्रणाली भले ही बदल सकती है लेकिन हमारे मूल्य वही रहेंगे.

हिंसा बढ़ रही है
प्रणब मुखर्जी ने कहा, ''प्रति दिन हम अपने आसपास बढ़ी हुई हिंसा देखते हैं. इस हिंसा के मूल में भय , अविश्वास और अंधकार है.’’पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने सार्वजनिक विमर्श को हिंसा से मुक्त करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें शांति , सौहार्द्र और प्रसन्नता की ओर बढ़ना होगा. मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र को धर्म , हठधर्मिता या असहिष्णुता के माध्यम से परिभाषित करने का कोई भी प्रयास केवल हमारे अस्तित्व को ही कमजोर करेगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मुखर्जी ने संघ के स्वयंसेवकों के ट्रेनिंग के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात नागपुर के रेशमबाग में स्थित आरएसएस मुख्यालय में कही.

मुखर्जी ने नेहरू को किया याद याद
उन्होंने नेहरू की किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया का जिक्र करते हुए कहा, ''नफरत और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय पहचान खतरे में पड़ेगी. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि भारतीय राष्ट्रवाद में हर तरह की विविधता के लिए जगह है. भारत के राष्ट्रवाद में सारे लोग समाहित हैं. इसमें जाति, मजहब, नस्ल और भाषा के आधार पर कोई भेद नहीं है.''

उन्होंने प्राचीन भारत से लेकर देश के स्वतंत्रता आंदोलत तक के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘ सर्वे भवन्तु सुखिन :..’ जैसे विचारों पर आधारित है. मुखर्जी ने राष्ट्र की अवधारणा को लेकर सुरेन्द्र नाथ बनर्जी और बालगंगाधर तिलक के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद किसी क्षेत्र , भाषा या धर्म विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण मार्गदशर्क है.

 'सभी भारत माता की संतानें'पूर्व राष्ट्रपति के संबोधन से पहले संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस के कार्यक्रम में मुखर्जी के भाग लेने को लेकर छिड़ी बहस ‘ निरर्थक ’ है और उनके संगठन में कोई भी व्यक्ति बाहरी नहीं है. भागवत ने कहा कि इस कार्यक्रम के बाद भी मुखर्जी वही रहेंगे जो वह हैं और संघ वही रहेगा जो वह है. उन्होंने कहा कि उनका संगठन पूरे समाज को एकजुट करना चाहता है और उसके लिए कोई बाहरी नहीं है. उन्होंने कहा कि लोगों के भिन्न मत हो सकते हैं लेकिन सभी भारत माता की संतानें हैं.

भारत माता के महान सपूत थे हेडगेवारइससे पहले मुखर्जी जब संघ मुख्यालय आये तो उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को ‘ भारत माता का महान सपूत ’ बताया. हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की थी. मुखर्जी ने अपने संबोधन से पहले संघ की आगंतुक पुस्तिका में लिखा , ‘‘ मैं भारत माता के एक महान सपूत के प्रति अपनी श्रद्धा और  सम्मान व्यक्त करने यहां आया हूं.’’
http://abpnews.abplive.in/india-news/pranab-mukherjee-lesson-to-rss-over-nationalism-patriotism-jawaharlal-nehru-mahatma-gandhi-882015
नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुत्री एवं कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि जिस बात का उन्हें डर था और अपने पिता को जिस बारे में उन्होंने आगाह किया था, वही हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि जिसका डर था, भाजपा/आरएसएस के ‘डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट’ने वही किया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों में ऐसा नजर आ रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति संघ नेताओं और कार्यकर्ताओं की तरह अभिवादन कर रहे हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने रुचि शर्मा के एक ट्वीट को रिट्वीट किया है जिसमें दो तस्वीरें हैं। इनमें से एक तस्वीर में प्रणब मुखर्जी संघ की काली टोपी में दिख रहे हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का विरोध किया था और बुधवार को ट्विटर पर अपने पोस्ट के जरिये उन्होंने अपनी नाखुशी भी जाहिर की थी.


पार्टी ने कहा, ‘लोगों को याद दिलाने का अच्छा मौका है कि वास्तव में आरएसएस क्या है. अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस ने कभी भाग नहीं लिया. वह ब्रिटिशकाल में हमेशा औपनिवेशिक ताकत के अधीन रहा. 1930 में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया तो हेडगेवार ने यह सुनिश्चित किया कि संघ का इस आंदोलन से कोई लेनादेना नहीं हो।’पार्टी ने दावा किया कि आरएसएस ने कभी भी तिरंगे का सम्मान नहीं किया और हाल के समय में उन्होंने अपने मुख्यालय पर तिरंगा फहराना शुरू किया. कांग्रेस ने यह भी दावा किया, ‘गांधी जी की हत्या के बाद आरएसएस के लोगों ने खुशियां मनाईं और मिठाइयां बांटीं थी. विनायक दामोदर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार से माफी मांगी थी और उनके प्रति वफादारी जताई थी. जेल में रहते हुए उन्होंने कई बार दया के लिए लिखा था.’ 

वहीं कांग्रेस ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तस्वीरें देखकर पार्टी के लाखों कायकर्ताओं और भारत के बहुलवाद, विविधता एवं बुनियादी मूल्यों में विश्वास करने वालों को दुख हुआ है. कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा, ‘वरिष्ठ नेता और विचारक प्रणब मुखर्जी की आरएसएस मुख्यालय में तस्वीरों से कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ता और भारतीय गणराज्य के बहुलवाद, विविधता एवं बुनियादी मूल्यों में विश्वास करने वाले लोग दुखी हैं.’    उन्होंने कहा, ‘संवाद उन्हीं लोगों के साथ हो सकता है जो सुनने, आत्मसात करने और बदलने के इच्छुक हों. यहां ऐसा कुछ नहीं जिससे पता चलता हो कि आरएसएस अपने मुख्य एजेंडा से हट चुका है. संघ वैधता हासिल करने की कोशिश में है.’ कांग्रेस ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी कर कहा कि ‘यह नहीं भूलना चाहिए कि आरएसएस क्या है?’

https://khabar.ndtv.com/news/india/sharmistha-mukherjee-statement-after-pranab-mukherjee-speech-in-rss-headquarter-in-nagpur-1864229?pfrom=home-topstories

बहुलतावाद और सहिष्णुता है भारत की आत्मा : संघ मुख्‍यालय में प्रणब मुखर्जी के भाषण की 10 बड़ी बातें

नागपुर: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बहुलतावाद एवं सहिष्णुता को भारत की 'आत्मा’ करार देते हुए गुरुवार को आरएसएस को परोक्ष तौर पर आगाह किया कि ‘धार्मिक मत और असहिष्णुता’ के माध्यम से भारत को परिभाषित करने का कोई भी प्रयास देश के अस्तित्व को कमजोर करेगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मुखर्जी ने कांग्रेस के तमाम नेताओं के विरोध के बावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयं सेवकों के प्रशिक्षण वर्ग के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात नागपुर में रेशमबाग स्थित आरएसएस मुख्यालय में कही.


संघ मुख्‍यालय में क्‍या बोले पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी
  1. पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘‘हमें अपने सार्वजनिक विमर्श को सभी प्रकार के भय एवं हिंसा, भले ही वह शारीरिक हो या मौखिक, से मुक्त करना होगा.’’
  2. मुखर्जी ने देश के वर्तमान हालात का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘प्रति दिन हम अपने आसपास बढ़ी हुई हिंसा देखते हैं. इस हिंसा के मूल में भय, अविश्वास और अंधकार है.’’
  3. मुखर्जी ने कहा कि असहिष्णुता से भारत की राष्ट्रीय पहचान कमजोर होगी. उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्रवाद सार्वभौमवाद, सह अस्तित्व और सम्मिलन से उत्पन्न होता है.
  4. उन्होंने राष्ट्र की परिकल्पना को लेकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विचारों का भी हवाला दिया. उन्होंने स्वतंत्र भारत के एकीकरण के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों का भी उल्लेख किया.
  5. मुखर्जी ने कहा, ‘‘भारत में हम सहिष्णुता से अपनी शक्ति अर्जित करते हैं और अपने बहुलतावाद का सम्मान करते हैं. हम अपनी विविधता पर गर्व करते हैं.’’ पूर्व राष्ट्रपति ने आरएसएस कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्र, राष्ट्रवाद एवं देशप्रेम को लेकर अपने विचारों को साझा किया.
  6. उन्होंने प्राचीन भारत से लेकर देश के स्वतंत्रता आंदोलत तक के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तथा ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:..’ जैसे विचारों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद में विभिन्न विचारों का सम्मिलन हुआ है. उन्होंने कहा कि घृणा और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीयता कमजोर होती है.
  7. मुखर्जी ने राष्ट्र की अवधारणा को लेकर सुरेन्द्र नाथ बनर्जी तथा बालगंगाधर तिलक के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद किसी क्षेत्र, भाषा या धर्म विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है.
  8. पूर्व राष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण मार्गदशर्क है. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद का प्रवाह संविधान से होता है. ‘भारत की आत्मा बहुलतावाद एवं सहिष्णुता में बसती है.’
  9. उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने ही लोगों की प्रसन्नता एवं खुशहाली को राजा की खुशहाली माना था. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने सार्वजनिक विमर्श को हिंसा से मुक्त करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें शांति, सौहार्द्र और प्रसन्नता की ओर बढ़ना होगा.
  10. मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र को धर्म, हठधर्मिता या असहिष्णुता के माध्यम से परिभाषित करने का कोई भी प्रयास केवल हमारे अस्तित्व को ही कमजोर करेगा.
  11. https://khabar.ndtv.com/news/file-facts/top-10-quotes-of-pranab-mukherjee-at-rss-headquarters-1864173

प्रणब मुखर्जी ने दी नसीहत, नहीं चलेगी हिंदू राष्ट्र की अवधारणा, 10 बड़ी बातें

नागपुर: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर में संघ के मुख्यालय में जाने और वहां पर संघ के प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को भाषण देने के फैसले पर हर जगह चर्चा हो रही है. गुरुवार की शाम को उन्होंने जो भाषण दिया उसका हर कोई अपने-अपने हिसाब से मायने निकाल रहा है. इससे पहले पूरी कांग्रेस असहज नजर आ रही थी. यहां तक कि उनकी बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनका (डॉ.मुखर्जी) भाषण किसी को याद नहीं रहेगा हां, उनकी तस्वीर का इस्तेमाल जरूर किया जाएगा. लेकिन कुशल राजनेता मुखर्जी बिना किसी दबाव में आए संघ के कार्यक्रम में गए और अपने 'उच्चस्तरीय' भाषण के जरिये संघ को उसी के मच पर कई नसीहतें दें डालीं. प्रणब मुखर्जी अपना भाषण अंग्रेजी में दे रहे थे, मगर बीच-बीच में वह अपनी मातृभाषा बांग्ला के मुहावरों का इस्तेमाल भी कर रहे थे. इससे पहले डॉ. नुखर्जी ने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को भारत माता का सच्चा सपूत भी कहा. यह बात उन्होंने विजिटर डायरी में लिखी है.



डॉ. प्रणब मुखर्जी के भाषण की 10 बड़ी बातें
  1. हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को अपनी विचारधारा का केंद्र मानने वाले संघ के मंच पर पूर्व राष्ट्रपति ने सरल शब्दों में भारत की बहुलतावादी संस्कृति का बखान किया. 
  2. आरएसएस काडर को बताया कि राष्ट्र की आत्मा बहुलवाद और पंथनिरपेक्षवाद में बसती है. प्रणब मुखर्जी ने प्रतिस्पर्धी हितों में संतुलन बनाने के लिए बातचीत का मार्ग अपनाने की जरूरत बताई. 
  3. उन्होंने साफतौर पर कहा कि घृणा से राष्ट्रवाद कमजोर होता है और असहिष्णुता से राष्ट्र की पहचान क्षीण पड़ जाएगी. 
  4. उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक संवाद में भिन्न मतों को स्वीकार किया जाना चाहिए.'
  5. सांसद व प्रशासक के रूप में 50 साल के अपने राजनीतिक जीवन की कुछ सच्चाइयों को साझा करते हुए प्रणब ने कहा, 'मैंने महसूस किया है कि भारत बहुलतावाद और सहिष्णुता में बसता है.'
  6. उन्होंने कहा, 'हमारे समाज की यह बहुलता सदियों से पैदा हुए विचारों से घुलमिल बनी है. पंथनिरपेक्षता और समावेशन हमारे लिए विश्वास का विषय है. यह हमारी मिश्रित संस्कृति है जिससे हमारा एक राष्ट्र बना है.'
  7. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के दर्शनों की याद दिलाते हुए मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रीयता एक भाषा, एक धर्म और एक शत्रु का बोध नहीं कराती है.
  8. उन्होंने कहा कि यह 1.3 अरब लोगों के शाश्वत एक सार्वभौमिकतावाद है जो अपने दैनिक जीवन में 122 भाषाओं और 1,600 बोलियों का इस्तेमाल करते हैं.
  9. वे सात प्रमुख धर्मो का पालन करते हैं और तीन प्रमुख नस्लों से आते हैं और एक व्यवस्था से जुड़े हैं.
  10. उनका एक झंडा है. साथ ही भारतीयता उनकी एक पहचान है और उनका कोई शत्रु नहीं है. यही भारत को विविधता में एकता की पहचान दिलाता है."


इनपुट : आईएनएस से भी
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