Friday, December 23, 2016

दंगल फिल्म रिव्यू: रेसलिंग में 'छोरियों' की दमदार कहानी, अखाड़े में छा गए 'पहलवान' आमिर

नई दिल्ली: एक्टर आमिर खान की फिल्म दंगल आज रिलीज हो गई। क्रिसमस से पहले रिलीज हुई इस फिल्म को तकरीबन सभी क्रिटिक्स ने जमकर सराहा है। यह फिल्म हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगट के जीवन पर आधारित है जिन्होंने अपनी बेटियों का अखाड़े में उतारकर उन्हें नामचीन पहलवान बनाया। आमिर की इस फिल्म का लंबे समय से इंतजार हो रहा था लेकिन जब यह फिल्म आई तो ऐसा लगता है बॉक्स ऑफिस पर छा जाएगी।

‘दंगल’हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगट के जीवन पर आधारित फिल्म है। एक बेटे के इंतजार में महावीर सिंह फोगट की चार बेटियां पैदा हो जाती हैं। वह निराश होता है क्योंकि उसने अपने बेटे को पहलवान बनाने का सपना संजोया होता है। समय बीतता है और इस बीच एक ऐसी घटना होती है जिससे महावीर अपनी बेटियों को पहलवान बनाने की ठान लेता है। फिल्म आगे बढ़ती है और महावीर अपनी बेटियों को पहलवान बनाने के लिए कड़ी ट्रेनिंग देता है। महावीर सिंह अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती के गुर सिखाकर उन्हें रेसलिंग का चैंपियन बनाता है। उसकी बेटियां मेडल जीतकर तिरंगा लहराती है और उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। उसने यह सपना बेटे के जरिए देखा था लेकिन जब बेटा नहीं हुआ तो बेटियों ने ही अपने पिता का सपना पूरा कर दिखाया।  
दंगल फिल्म की बात सबसे जुदा है। दरअसल यह फिल्म कई मायनों में अलग कही जा सकती है। डायरेक्टर नितेश तिवारी ने फिल्म को कुछ इस तरह से बुना है जिसमें खेल, इमोशन, हास्य के रंगों के साथ रोमांच का भी बोलबाला है। फिल्म की स्क्रिप्ट बेहद कसी हुई है। शायद ही फिल्म में ऐसा कोई सीन हो जो आपको बोर करता हो। एक तरफ जहां फिल्म की कॉमिक टाइमिंग सटीक है तो दूसरी तरफ लाफ्टर डोज भी आपको खूब हंसाता है। साथ ही फिल्म में कई सीन इमोशनल भी है जो आपको रुला देंगे। फिल्म के संवाद दिल को छूते है जिसमें - 'मेडलिस्ट पेड़ पर नहीं उगते, उन्हें बनाना पड़ता है  प्यार से, मेहनत से, लगन से...'आदि शामिल है। फिल्म में रेसलिंग के कई सीन हैं जो दर्शकों को दिल थाम कर देखने को मजूबर हो जाता है। करीब दो घंटे 50 मिनट की इस फिल्म में आप कही भी बोरियत महसूस नहीं करेंगे।

फिल्म में आमिर खान ने एक बार खुद को साबित कर दिया है कि उन्हें मिस्टर परफेक्शनिस्ट यूं ही नहीं कहा जाता। सबको पता है कि आमिर खान ने इस भूमिका के लिए पहले वजन बढ़ाया और फिर घटा लिया। उन्होंने महावीर सिंह फोगट का किरदार इस तरह से निभाया है कि वह पर्दे पर जीवंत हो उठता है। उनकी अदाकारी फिल्म के हर सीन में सर चढ़कर बोलती है। फिल्म के सभी पात्रों का चुनाव काफी सोच समझकर किया गया है। गीता और बबीता के बचपन का रोल जायरा वसीम और सुहानी भटनागर ने किया है तो वहीं बड़े होने के बाद की भूमिका फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा ने किया है। दोनों ने अपनी भूमिका को दमदार तरीके से निभाया है और रिंस में रेसलर की भूमिका में पूरी तरह जंची है।
दंगल फिल्म में प्रीतम ने म्यूजिक दिया है और अमिताभ भट्टाचार्य ने गानों के बोल लिखे हैं। लगभग सभी गाने बहुत ही अच्छे और कर्णप्रिय बन पड़े हैं। ‘हानिकारक बापू’, ‘धाकड़’ और ‘गिल्हेरियां’ पहले ही काफी पॉपुलर हो चुके हैं। अरिजित सिंह की आवाज में एक गाना ‘नैना’ बेहद इमोशनल है जो आपको रूला जाता है।
कुल मिलाकर दंगल एक ऐसी फिल्म है जिसमें आपको खेल की पटकथा में एक ख्वाहिश देखने को मिलेगी। एक पहलवान की  ख्वाहिश कैसे एक दंगल में रेसलर का रुप लेती है, यह नीतिश तिवारी ने काफी अद्भुत तरीके से फिल्माया है। फिल्म की पकड़ कही भी कमजोर नहीं होती है। फिल्म ना सिर्फ मनोरंजक बल्कि प्रेरक भी है जो सिखाती है कि जीवन में इंसान ठान ले तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। साथ ही फिल्म नारी शक्ति के बेहतरीन स्वरुप को भी दिखाती है कि बेटियों पर भरोसा किया जाए, उनका हौसला बढ़ाया जाए तो वह आपकी उम्मीदों पर खरी उतरती है और आपका नाम रोशन करती है। यह फिल्म एक पारिवारिक फिल्म है जिसे पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है। आमिर खान के फैंस के लिए तो यह फिल्म यकीकन एक 'धाकड़' फिल्म साबित होगी।


ज़ी मीडिया ब्‍यूरो 

No comments:

Post a Comment