जयपुर।
अच्छे दिन? आ गए! अच्छे दिन? आ गए! किसके आए? तेरे आए? मेरे आए? इसके आए? उसके आए? गरीब के आए? गुरबों के आए? तो किसके आए? फिलहाल तो अच्छे दिन सिर्फ भाई के आए हैं।
वाह रे भाई! वाह रे तेरी हातिमताई! तूने उपद्रव मचाया। तुमने प्रेमिका को पीटा! तूने प्रेमिका के प्रेमी की खाट खड़ी की। तूने क्या-क्या बोल नहीं बोले। लेकिन वाह रे तेरी किस्मत। वाह! तूने सिद्ध कर दिया कि बड़ी-बड़ी लक्जरी गाडिय़ां दारू पीकर अपने आप चलती हैं।
तूने बता दिया कि इस देश से गरीबी को कम करने का एक मात्र उपाय है कि गरीबों को ही कम कर दिया जाए। तेरे ऊपर फिदा होकर हिरण खुद मर गया। चिंकारा ने आत्महत्या कर ली। तेरे प्रेम में फंस कर गवाह गायब हो गए। ये तेरी महत्ता के कारण तेरे पैरवीकार टीवी के सामने आकर बेशर्मी से तेरा बखान कर रहे हैं। तूने सिद्ध कर दिया कि इस देश के कानून में सत्तर छेद है और कानूनी चालनी से महीन-महीन अमीर लोग बाहर निकल जाते हैं और मोटे-मोटे कंकड़ पत्थर यानी गरीब फंदे में ही फंसे रह जाते हैं।
भाई तू दोस्तों का बॉडीगार्ड है, तू कानूनी अखाड़े का सुल्तान है। तूने इस देश को जो राह दिखाई है वह रंग लाएगी! अब भाई के इस प्रशस्तिगान को सुन कर आप यह न कहना कि हमारी मूर्ख कलम भाई का गुणगान क्यों कर रही है? जरा धैर्य से सुने। जिस देश की व्यवस्था बिकाऊ और हाकिम चोर हो जाते हैं। जिस समाज में अमीर के सात खून माफ और गरीब को 'चोर' माना जाता है, क्रांति उसी समाज में होती है।
अब तय हो रहा है कि यहां सब कुछ बिकने लगा है। चचा का शेर है- दर्द का हद से गुजर जाना दवा हो जाना। जब आमजन का व्यवस्था, न्याय और हुकूमत से विश्वास हट जाता है तो क्रांति का ज्वालामुखी फूटता है तब अवाम गाती है- हम देखेंगे, मुमकिन है कि हम भी देखेंगे। जब ताज उछाले जाएंगे, जब तख्त गिराये जाएंगे, हम देखेंगे...।
व्यंग्य राही की कलम से
http://rajasthanpatrika.patrika.com/story/opinion/baat-karamat-2292728.html
अच्छे दिन? आ गए! अच्छे दिन? आ गए! किसके आए? तेरे आए? मेरे आए? इसके आए? उसके आए? गरीब के आए? गुरबों के आए? तो किसके आए? फिलहाल तो अच्छे दिन सिर्फ भाई के आए हैं।
वाह रे भाई! वाह रे तेरी हातिमताई! तूने उपद्रव मचाया। तुमने प्रेमिका को पीटा! तूने प्रेमिका के प्रेमी की खाट खड़ी की। तूने क्या-क्या बोल नहीं बोले। लेकिन वाह रे तेरी किस्मत। वाह! तूने सिद्ध कर दिया कि बड़ी-बड़ी लक्जरी गाडिय़ां दारू पीकर अपने आप चलती हैं।
तूने बता दिया कि इस देश से गरीबी को कम करने का एक मात्र उपाय है कि गरीबों को ही कम कर दिया जाए। तेरे ऊपर फिदा होकर हिरण खुद मर गया। चिंकारा ने आत्महत्या कर ली। तेरे प्रेम में फंस कर गवाह गायब हो गए। ये तेरी महत्ता के कारण तेरे पैरवीकार टीवी के सामने आकर बेशर्मी से तेरा बखान कर रहे हैं। तूने सिद्ध कर दिया कि इस देश के कानून में सत्तर छेद है और कानूनी चालनी से महीन-महीन अमीर लोग बाहर निकल जाते हैं और मोटे-मोटे कंकड़ पत्थर यानी गरीब फंदे में ही फंसे रह जाते हैं।
भाई तू दोस्तों का बॉडीगार्ड है, तू कानूनी अखाड़े का सुल्तान है। तूने इस देश को जो राह दिखाई है वह रंग लाएगी! अब भाई के इस प्रशस्तिगान को सुन कर आप यह न कहना कि हमारी मूर्ख कलम भाई का गुणगान क्यों कर रही है? जरा धैर्य से सुने। जिस देश की व्यवस्था बिकाऊ और हाकिम चोर हो जाते हैं। जिस समाज में अमीर के सात खून माफ और गरीब को 'चोर' माना जाता है, क्रांति उसी समाज में होती है।
अब तय हो रहा है कि यहां सब कुछ बिकने लगा है। चचा का शेर है- दर्द का हद से गुजर जाना दवा हो जाना। जब आमजन का व्यवस्था, न्याय और हुकूमत से विश्वास हट जाता है तो क्रांति का ज्वालामुखी फूटता है तब अवाम गाती है- हम देखेंगे, मुमकिन है कि हम भी देखेंगे। जब ताज उछाले जाएंगे, जब तख्त गिराये जाएंगे, हम देखेंगे...।
व्यंग्य राही की कलम से
http://rajasthanpatrika.patrika.com/story/opinion/baat-karamat-2292728.html
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